स्वास्थ के प्रकार // कैसे सुधारे // और लक्षण क्या है

स्वास्थ के प्रकार और लक्षण

 

स्वास्थ के प्रकार

 

स्वास्थ –

स्वास्थ्य सिर्फ एक  बीमारियों की अनुपस्थिति का नाम नहीं है। हमें सर्वांगीण स्वास्थ्य के बारे में जानकारी होना बहुत जरुरी है। स्वास्थ्य का अर्थ  लोगों के लिए अलग-अलग होता है। लेकिन अगर हम एक सार्वभौमिक दृष्टिकोण की बात करें तो अपने आपको स्वस्थ कहने का यह अर्थ होता है कि हम अपने जीवन में आनेवाली सभी सामाजिक, शारीरिक और भावनात्मक चुनौतियों का प्रबंधन करने में सफलतापूर्वक सक्षम हों। वैसे तो आज के समय मे अपने आपको स्वस्थ रखने के ढेर सारी उपाय है।अब हम स्वास्थ के प्रकार। जानेंगे 

शारीरिक स्वास्थ्य क्या है हुए स्वास्थ के प्रकार –

शारीरिक स्वास्थ्य शरीर की स्थिति को दर्शाता है जिसमें इसकी संरचना, विकास, कार्यप्रणाली और रखरखाव इसमें  शामिल होता है।

स्वास्थ के प्रकार

 

  • संतुलित आहार की आदतें, मीठी श्वास व गहरी नींद

  • नाड़ी स्पंदन, रक्तदाब, शरीर का भार व व्यायाम सहनशीलता आदि सब कुछ व्यक्ति के आकार, आयु व लिंग के लिए सामान्य मानकों के अनुसार होना चाहिए।

  • शरीर के सभी अंग सामान्य आकार के हों तथा उचित रूप से कार्य कर रहे हों।

  • साफ एवं कोमल स्वच्छ त्वचा हो।

  • आंख नाक, कान, जिव्हा, आदि ज्ञानेन्द्रियाँ स्वस्थ हो।

  • दांत साफ सुथरें हो.

  • मुंह से दुर्गंध न आती हो।

  • समय पर भूख लगती हो

  • कर्मेन्द्रिय (हाथ पांव आदि) स्वस्थ हों।

  • मल विसर्जन सम्यक् मात्रा में समय पर होता हो।

  • शरीर की उंचाई के हिसाब से वजन हो।

  • शारीरिक संगठन सुदृढ़ एवं लचीला हो।

  • स्वास्थ के प्रकार जानेंगे

 

मानसिक स्वास्थ्य – ये स्वास्थ के प्रकार में पहला प्रकार है। 

मानसिक स्वास्थ्य

मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ हमारे भावनात्मक और आध्यात्मिक  से है जो हमें अपने जीवन में दर्द, निराशा और उदासी की स्थितियों में जीवित रहने के लिए सक्षम बनाती है। मानसिक स्वास्थ्य हमारी भावनाओं को व्यक्त करने और जीवन की ढ़ेर सारी माँगों के प्रति अनुकूलन की क्षमता है। इसे अच्छा बनाए रखने के निम्नलिखित कुछ तरीके हैं-ये स्वास्थ के प्रकार में पहला है। 

प्रसन्नता, शांति व व्यवहार में प्रफुल्लता

 

  • आत्म-संतुष्टि (आत्म-भर्त्सना या आत्म-दया की स्थिति न हो।)

  • भीतर यानि अंदर कोई भावात्मक संघर्ष न हो (हर वक्त खुद से युद्धरत होने का भाव न करे।)

  • मन की संतुलित अवस्था।

  • डर, क्रोध, इर्ष्या, का अभाव हो।

  • मनसिक तनाव एवं अवसाद ना हो।

  • वाणी में संयम और मधुरता हो।

  • कुशल व्यवहारी हो।

 

बौद्धिक स्वास्थ्य -ये स्वास्थ के प्रकार में दूसरा है। 

यह किसी के भी जीवन को बढ़ाने के लिए कौशल और ज्ञान को विकसित करने के लिए संज्ञानात्मक क्षमता है। हमारी बौद्धिक क्षमता हमारी रचनात्मकता को प्रोत्साहित और हमारे निर्णय लेने की क्षमता में सुधार करने में मदद करता है। 

  • (1) समायोजन करने वाली बुद्धि, आलोचना को स्वीकार कर सके व आसानी से व्यथित न हो।

  • (2) दूसरों की भावात्मक आवश्यकताओं की समझ, सभी प्रकार के व्यवहारों में शिष्ट रहना व दूसरों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखना, नए विचारों के लिए खुलापन, उच्च भावात्मक बुद्धि।

  • (3) आत्म-संयम, भय, क्रोध, मोह, जलन, अपराधबोध या चिंता के वश में न हो। लोभ के वश में न हो तथा समस्याओं का सामना करने व उनका बौद्धिक समाधान तलाशने में निपुण हो।

आध्यात्मिक स्वास्थ्य -स्वास्थ के   प्रकार का तीसरा  प्रकार है 

हमारा अच्छा स्वास्थ्य आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ चाहिए । जीवन के अर्थ और उद्देश्य की तलाश करना हमें आध्यात्मिक बनाता है। आध्यात्मिक स्वास्थ्य हमारे  मान्यताओं और मूल्यों को दर्शाता है। अच्छे आध्यात्मिक स्वास्थ्य को प्राप्त करने का कोई निर्धारित तरीका नहीं है। यह हमारे अस्तित्व की समझ के बारे में अपने अंदर गहराई से देखने का एक तरीका है।

 

आध्यात्मिक

 

  • प्राणी मात्र के कल्याण की भावना हो।

  • तन, मन, एवं धन की शुद्वता वाला हो।

  • परस्पर सहानुभूति वाला हो।

  • परेपकार एवं लोकल्याण की भावना वाला हो।

  • कथनी एवं करनी में अन्तर न हो।

  • प्रतिबद्वता, कर्त्तव्यपालन वाला हो।

  • योग एवं प्राणायाम का अम्यासी हो।

  • श्रेष्ठ चरित्रवान व्यक्तित्त्व हो।

  • इन्द्रियों को संयम में रखने वाला हो।

  • सकारात्मक जीवन शैली जीने वाला हो।

  • पुण्य कार्यो के द्वारा आत्मिक उत्थान वाला हो।

  • अपने शरीर सहित इस भौतिक जगत की किसी भी वस्तु से मोह न रखना।

  • दूसरी आत्माओं के प्रभाव में आए बिना उनसे भाईचारे का नाता रखना।

सामाजिक स्वास्थ्य -स्वस्थ के प्रकार का चौथा प्रकार है 

हम सामाजिक जीव हैं अतः संतोषजनक रिश्ते का निर्माण करना और उसे बनाए रखना हमें स्वाभाविक रूप से आता है। सामाजिक रूप से सबके द्वारा स्वीकार किया जाना हमारे भावनात्मक खुशहाली के लिए अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।

 

स्वास्थ के प्रकार

 

  • प्रदूषणमुक्त वातावरण हो।

  • शुद्व पेयजल हो।

  • मल-मूत्र एवं अपशिष्ट पदार्थों के निकासी की योजना हो।

  • सुलभ शैचालय हो।

  • समाज अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रहमचर्य एवं अपरिग्रही स्वभाव वाला हो।

  • वृक्षारोपण का अधिकाधिक कार्य हो।

  • सार्वजनिक स्थलों पर पूर्ण स्वच्छता हो।

  • जंनसंख्यानुसार पर्याप्त चिकित्सालय हों।

  • संक्रमण-रोधी व्यवस्था हो।

  • उचित शिक्षा की व्यवस्था हो।

  • भय एवं भ्रममुक्त समाज हो।

  • मानव कल्याण के हितों का समाज वाला हो।

पोषण एवं स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले अन्य सामाजिक तत्त्व
  • खाद्य सामग्री की जनसंख्या के अनुपात में उपलब्धता
  • मौसमी फल एवं सब्जियों की उपलब्धता
  • खान-पान की सामाजिक पद्वतियाँ
  • बच्चों के आहार से संबधी नीतियाँ

अधिकांश लोग अच्छे स्वास्थ्य के महत्त्व को नहीं समझते हैं और अगर समझते भी हैं तो वे अभी तक इसकी उपेक्षा कर रहे हैं। हम जब भी स्वास्थ्य की बात करते हैं तो हमारा ध्यान शारीरिक स्वास्थ्य तक ही सीमित रहता है। अच्छे स्वास्थ्य की आवश्यकता हम सबको है। यह किसी एक विशेष धर्म, जाति, संप्रदाय या लिंग तक  नहीं है। हमें इस आवश्यक वस्तु के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए।

Conclusion –

आज हमने स्वास्थ  के बारे में जान  लिया उसके लक्षण क्या है कोनसे कोनसे  प्रकार है  इसकी जानकारी दी है।हमने सभी चीजे आपको details से बताने की कोशिश की गयी है. फिर भी कुछ समाज ना आया हो तो आप हमें comment के जरिये सूचित कर  सकते है. और हम रोज ऐसी ही नयी नयी जानकारी share करते रहते है। अगर आज की यह पोस्ट अछि  लगी हो तो इसे जरूर शेयर करे। धन्यवाद्।

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